कानपुर।
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के पारंपरिक चमड़ा और फुटवियर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फुटवियर, लेदर एवं नॉन लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025 को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत उद्योग को शिक्षा से जोड़ने की तैयारी है, ताकि युवाओं को सीधे उसी क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा सके जिसकी बाज़ार को ज़रूरत है। इसके लिए प्रदेश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में विशेष पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। साथ ही प्रदेश भर में 10 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और शोध केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहां आधुनिक प्रशिक्षण, अनुसंधान और नए उत्पाद विकास पर जोर रहेगा। सरकार का कहना है कि इस पहल से न सिर्फ स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेगा, बल्कि उद्योग को कुशल कार्यबल भी मिलेगा, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। इसके अलावा राज्य सरकार नवाचार को बढ़ावा देने के लिए फुटवियर व लेदर डिज़ाइन, स्मार्ट तकनीक और उत्पाद विकास से जुड़ी इकाइयों को सब्सिडी भी उपलब्ध कराएगी।
कानपुर और आगरा पहले से ही चर्म और फुटवियर उत्पादों के लिए देशभर में प्रसिद्ध रहे हैं। कानपुर में राजकीय चर्म संस्थान और लंबे समय तक सक्रिय रहा चर्म निर्यात परिषद का दफ्तर इस शहर की पहचान का हिस्सा रहे हैं। नई नीति लागू होने के बाद इस पहचान को और सशक्त बनाने का रास्ता खुलेगा। चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय चेयरमैन असद इराकी का कहना है कि इस नीति से उद्योग को अपनी ज़रूरत के अनुसार प्रशिक्षित कार्यबल मिलेगा और शोध एवं नवाचार की सुविधा मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में टिकना आसान होगा। नीति में महिला कर्मियों और दिव्यांगों को भी विशेष अवसर देने का प्रावधान है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार का यह प्रयास सही तरीके से लागू हुआ तो आने वाले वर्षों में कानपुर का चमड़ा उद्योग न केवल अपनी खोई हुई चमक वापस पाएगा बल्कि वैश्विक स्तर पर नई पहचान भी बनाएगा।