कानपुर और आगरा पहले से ही चर्म और फुटवियर उत्पादों के लिए देशभर में प्रसिद्ध रहे हैं। कानपुर में राजकीय चर्म संस्थान और लंबे समय तक सक्रिय रहा चर्म निर्यात परिषद का दफ्तर इस शहर की पहचान का हिस्सा रहे हैं। नई नीति लागू होने के बाद इस पहचान को और सशक्त बनाने का रास्ता खुलेगा। चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय चेयरमैन असद इराकी का कहना है कि इस नीति से उद्योग को अपनी ज़रूरत के अनुसार प्रशिक्षित कार्यबल मिलेगा और शोध एवं नवाचार की सुविधा मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में टिकना आसान होगा। नीति में महिला कर्मियों और दिव्यांगों को भी विशेष अवसर देने का प्रावधान है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार का यह प्रयास सही तरीके से लागू हुआ तो आने वाले वर्षों में कानपुर का चमड़ा उद्योग न केवल अपनी खोई हुई चमक वापस पाएगा बल्कि वैश्विक स्तर पर नई पहचान भी बनाएगा।