कैलाश चंद्र परवाल
कैलाश चंद्र परवाल एक साधारण व्यक्ति, लेकिन उनका असाधारण नजरिया उनके व्यक्तिव को अनूठा बनाता है। पिछले दशक की उनकी हृदयस्पर्शी यात्रा का वर्णन करने से पहले यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैलाश चंद्र परवाल कोई धार्मिक नेता नहीं हैं। वह पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। लेकिन उनके जुनून ने उन्हें एक ऐसा लेखक बना दिया कि कैलाश चंद्र परवाल ने विभिन्न साहित्यिक कृतियां लिख डाली। जयपुर में रहने वाले 1957 में जन्मे कैलाश चंद्र परवाल का लेखन के क्षेत्र में कुछ अविस्मरणीय और अनोखा कार्य है। उन्होंन लोकप्रिय सरल रामायण और हाल ही में श्री भागवत जी को दुनिया के सामने लाया । कैलाश चंद्र भारत के वर्तमान युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। लेखन में रुचि बहुत छोटी उम्र से ही मानो उनकी नसों में दौड़ रहा हो। समसामयिक विषयों पर भी उनकी कई कविताएं सार्वजनिक मंचों पर पढ़ी गई हैं। प्राचीन भारतीय महाकाव्यों ने 2003 में उनका ध्यान खींचा और जल्द ही उन्होंने आधुनिक दौर में युवाओं के लिए रामायण, गीता और भगवान श्री कृष्ण के महाकाव्यों के जरिए पाठ के लिए कार्यशालाएं आयोजित करनी शुरू कर दी। धर्मग्रंथों से समसामयिक शिक्षा प्राप्त करने की उनकी क्षमता से हजारों युवा भारतीय प्रभावित हुए हैं। 6 वर्षों तक शोध और कुशल लेखन की कड़ी मेहनत के बाद उनकी पहली पुस्तक सरल रामायण, जिसमें 5000 से अधिक चौपाइयां और 50 गाने शामिल हैं, जिन्हें वर्ष 2010 में योग गुरु स्वामी रामदेवजी ने लॉन्च किया। इस पुस्तक को देश के धार्मिक नेतृत्व से शानदार प्रोत्साहन मिला और इसने युवाओं को अभूतपूर्व रूप से आकर्षित किया। पुस्तक की तात्कालिक लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि 1 साल के भीतर ही संस्कार नेशनल टेलीविजन ने 100 से अधिक देशों में अपने रोजाना के कार्यक्रमों में इसके गाने प्रसारित करने के लिए संपर्क किया।
सरल रामायण के 27 से अधिक घंटों के ऑडियो सेट को देश ने इतना पसंद किया कि उनके काम को मोरारी बापू, योग गुरु स्वामी रामदेव, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के श्री श्री रविशंकर, भारत माता मंदिर हरिद्वार के स्वामी सत्यमित्र नंदजी, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदा नंदजी सरस्वती, जैन संत स्वर्गीय श्री तरुण सागरजी जैसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक गुरुओं की ओर से सराहना और प्रशंसा मिली। यहां तक कि राजनीतिक हस्तियों अमित शाह, वसुन्धरा राजे, योगी आदित्य नाथ जैसे नेताओं ने भी इसकी तारीफ की।
कैलाश चंद्र परवाल को आज तक कई राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मंचों पर रामायण की प्रासंगिकता के बारे में बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता है। उनकी पहली पुस्तक की जबरदस्त सफलता ने युवाओं को उनके मूल ग्रंथों के साथ फिर से जोड़ने की जरूरत के बारे में स्पष्ट सोच प्रदान की, जो उनके लिए आसानी से जानने योग्य भी हो और दिलचस्प भी हो। उन्होंने पहली बार जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के जीवन इतिहास और शिक्षाओं के बारे में एक विस्तृत पाठ जिन-वंदना लिखने के लिए फिर से कलम उठाई। कैलाश चंद्र परवाल खुद जैन न होने के बावजूद उनकी धर्मनिरपेक्षता और अनुसंधान की भावना इतनी मजबूत थी कि आज जैन समुदाय के लगभग हर आध्यात्मिक पाठ में जिन-वंदना जरूरी हो गई है और आध्यात्मिकता को समझने के लिए युवाओँ को ईमेल और सलाह मिलते रहते हैं। कश्मीर में आतंकवाद, पेशावर स्कूल पर हमला और गलवान घाटी जैसे समसामयिक मुद्दों पर उनकी कविताएं सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित और मुद्रित हुईं और आज कई प्रतिष्ठित हस्तियों की ओर से उन्हें हिंदी साहित्य को बड़े पैमाने पर लिखने और पुनर्जीवित करने वाला एकमात्र लेखक और कवि माना जाता है।
प्राचीन हिंदी साहित्य को पुनर्जीवित करने की अनंत ऊर्जा और जुनून के कारण उन्होंने हाल ही में श्री कृष्णम और श्री भागवतजी नाम से एक और किताब लिखी हैं। जिनमें से प्रत्येक में 8000 से अधिक दोहे हैं। भगवान कृष्ण की किंवदंतियाँ पूरे भारत में लोकप्रिय हैं, लेकिन इस पर किसी भी भाषा में एक भी काव्य ग्रंथ उपलब्ध नहीं है, जो इस पुस्तक को अद्वितीय बनाता है। उन्हें पूरा विश्वास है कि हमारे धार्मिक कार्यों की समसामयिक, गायन योग्य और याद रखने में आसान प्रारूपों में उपलब्धता आधुनिक युवाओं और भारतीय पौराणिक इतिहास के बीच खोए संबंधों को पाट सकती है।
सरल रामायण हिंदी का अब तक का पहला और एकमात्र महाकाव्य, जिसमें लगभग 100,000 शब्द, 5000 दोहे और 50 गीत शामिल हैं, वह उनकी ओर से लिखी गई और संकलित है। यह हिंदी जानने और समझने वाले आम लोगों की भाषा में रामायण का छंदबद्ध रूप में चित्रण है। श्रीकृष्णम और श्री भागवतजी प्रत्येक में 12,500 से अधिक शब्द, 8000 दोहे हैं। यह पहली बार है कि पूरे महाकाव्य को एक ऐसी भाषा में परिवर्तित किया गया है जो समझने और याद रखने में आसान है, जिससे लाखों युवा और हिंदी भाषी पाठक महाकाव्य की शिक्षाओं को पढ़ सकते हैं और उनसे लाभ उठा सकते हैं। यह सुनिश्चित करने का उनका विनम्र प्रयास है कि उनका प्रेरणादायक साहित्यिक कार्य युवा भारत तक पहुंचे। यह इतिहास में खो न जाए और यह उल्लेखनीय है कि 90 प्रतिशत पाठक 20 से 35 आयु वर्ग के हैं। राजस्थान के राज्य सरकार के विभागों की ओर से राज्य के हर स्कूल और संस्कृत कॉलेज में पुस्तक की एक प्रति की सिफारिश की गई है। पवित्र ग्रंथ की समृद्ध विरासत और भारत के आधुनिक युवाओं के बीच की खाई को पाटने और इस महाकाव्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्हें पढ़ने, शोध करने और लिखने में 6 साल की कड़ी मेहनत करनी पड़ी। पुस्तक की आसान शैली ने इसे राज्य और राष्ट्रीय मंचों पर इसे कई पुरस्कार दिलाये हैं।
उनकी रचनाएं, सरल रामायण, श्री कृष्णम और श्री भागवतजी दुनिया में अपनी तरह की पहली रचनाएं हैं। यह पहली बार है कि काव्य प्रारूप में इतने बड़े पैमाने पर महाकाव्य लिखने का प्रयास किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में 5000 से 8000 से अधिक चौपाइयां हैं। सरल रामायण भारतीय साहित्य जगत में एक सम्मानित नाम बन गया है और जिस तरह से देश के युवा हमारे ग्रंथों की समृद्ध विरासत को अपने रोजमर्रा के आधुनिक जीवन में आत्मसात कर रहे हैं, उसमें इसका महत्वपूर्ण योगदान है। आसानी से याद किए जाने वाले छंदों और गीतों के साथ सरल भाषा में लिखा जाने के कारण यह हिंदी भाषी लोगों को पढ़ने और आनंद के साथ सीखने की भी अनुमति देता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आज दुनिया का एकमात्र पाठ है जो दिलचस्प प्रसंगों, गाने योग्य गीतों, पूरी तरह से छंदबद्ध कविता और प्रतिष्ठित ग्रंथ से सहस्राब्दियों के लिए महत्वपूर्ण पाठों के माध्यम से अप्रचलित ग्रंथों को आधुनिक सभ्यता से जोड़ता है। आज बहुत कम लेखक हिंदी में काम कर रहे हैं, जिससे हमारी प्रमुख भाषा में समृद्ध पाठ की कमी हो गई है, हालांकि भारत का अधिकांश हिस्सा अभी भी हिंदी में संवाद करता है। निस्संदेह, हिंदी भारत की आत्मा है और उनके काम ने स्पष्ट रूप से इसे बहाल करने में लंबी प्रगति की है। उनकी यात्रा उनकी अपनी बेटी के साथ शुरू हुई जो रामायण पढ़ना चाहती थी लेकिन पुरानी भाषा के कारण वह पढ़ नहीं पाती थी। उन्हें एहसास हुआ कि यह सिर्फ मेरे घर की नहीं बल्कि पूरे समाज की समस्या है। इसलिए, उन्होंने कई कारणों से हमारे प्राचीन ग्रंथों से दूर हो गए युवाओं को वापस लाने के लिए एक सचेत प्रयास किया, जिनमें सबसे प्रमुख कारण सरल हिंदी शब्दों में प्रासंगिक पाठ की अनुपलब्धता थी।
कैलाश चंद्र परवाल को साहित्य से लेकर उनके सामाजिक कामों के लिए राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। वर्ष 2016 में यूनाइटेड किंगडम के हाउस ऑफ कॉमन्स में अंतर्राष्ट्रीय संगठन संस्कृति की ओर से भारत गौरव पुरस्कार और 2016 में ही राजस्थान रियल्टर संगठन की ओर से प्राइड ऑफ राजस्थान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2017 में राष्ट्रीय स्तर साहित्य के क्षेत्र में सम्मान पत्र पुरस्कार अखिल भारतीय महेश्वरी महासभा ने प्रदान किया। इसके अलावा, राजस्थान सरकार ने स्वतंत्रता दिवस, 2018 पर उन्हें राज्य के विशिष्ट नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान केवल 7 लोगों को प्रदान किया गया। साहित्य और कविता के क्षेत्र में योगदान के लिए ये पुरस्कार पाने वाले वाले वह एकमात्र शख्स है। 2021 में शुभ विचार संस्था ने सामाजिक कामों के लिए भी कोरोना योद्धा और मानव मित्र सम्मान से सम्मानित किया। 2023 में पद्म पुरस्कार के लिए भी उनकी तरफ नाम सरकार के पास भेजा जा चुका है।