धर्म सरलीकृत

घरों की सफाई की जाती है, दीये जलाए जाते हैं, बाजारों में रौनक रहती है, लक्ष्मी पूजा होती है, मिठाई बाँटी जाती है और रात को आतिशबाजी होती है।

जाजमऊ टीला – यहाँ खुदाई में हजारों साल पुराने अवशेष मिले हैं, जो प्राचीन धार्मिक महत्व दिखाते हैं।

जेके मंदिर (राधाकृष्ण मंदिर) – सफेद संगमरमर से बना, सुंदर नक्काशी और शांत वातावरण वाला मंदिर।

पनकी हनुमान मंदिर। यहाँ 26 फुट ऊँची ध्यानमग्न हनुमान जी की प्रतिमा है। मंगलवार और शनिवार को बड़ी भीड़ रहती है।

भगवान ब्रह्मा का अश्वमेध यज्ञ यहीं हुआ था। माता सीता ने यहीं शरण ली और लव-कुश का जन्म भी यहीं हुआ। वाल्मीकि आश्रम* यहीं पर है। ध्रुव टीला – जहाँ ध्रुव जी ने तपस्या की थी।

लोगों का विश्वास है कि गंगा का आंतरिक स्वरूप हमेशा पवित्र है। बाहरी गंदगी के बावजूद आस्था बनी रहती है। लोग सफाई अभियानों में भी भाग लेते हैं।

हाँ, वाराणसी जैसी भव्य नहीं लेकिन सरसैया घाट जैसे स्थानों पर रोज संध्या को भक्तिभाव से गंगा आरती होती है। वातावरण शांत और पवित्र होता है।

बिठूर के घाट – ब्रह्मावर्त और पत्थर घाट (ब्रह्मा, सीता और लव-कुश से जुड़े हुए)। मसाकर घाट (सती चौरा घाट) – ऐतिहासिक स्थल, आज पूजा के लिए प्रयोग होता है। सरसैया घाट और सिद्धनाथ घाट – रोज स्नान, पूजा और संध्या आरती के लिए लोकप्रिय। शिवरात्रि घाट (भैरों मंदिर के पास) – शिव पूजा के लिए प्रसिद्ध।