यहाँ औद्योगिक शहर के बीच भक्ति है। गंगा यहाँ का आध्यात्मिक केंद्र है। लोग आधुनिक जीवन के साथ-साथ परंपरा और पूजा को बराबर निभाते हैं।
नवीन बाजार, बिरहाना रोड और मंदिरों के पास – जहाँ फूल, अगरबत्ती, दीया, मूर्तियाँ, कलावा, कुमकुम और हल्दी आसानी से मिलती है।
हाँ, पर आदरपूर्वक। चुपचाप देखें, सादे कपड़े पहनें, जूते उतारें और फोटो लेने से पहले अनुमति लें।
दिवाली, होली, नवरात्रि, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी और राम नवमी के समय आना सबसे अच्छा है।
नामकरण मुंडन उपनयन विवाह (सात फेरे और हवन के साथ) अंतिम संस्कार (गंगा घाट पर)
लगभग हर घर में पूजा का स्थान होता है। रोज दीया जलाना, फूल-भोग चढ़ाना, मंत्र-जप और धार्मिक ग्रंथ पढ़ना सामान्य है। कुलदेवता की विशेष पूजा होती है।
नवरात्रि में बड़े-बड़े पंडाल सजते हैं, दुर्गा प्रतिमा की स्थापना होती है, गरबा-डांडिया और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, प्रसाद (भोग) बाँटा जाता है।
रंगों और उमंग से भरी! लोग गुलाल और पिचकारी से खेलते हैं, गाते-बजाते हैं, गुझिया खाते हैं और खूब मस्ती करते हैं।