अभावग्रस्त बुंदेलखंड की गरीबी,जलसंकट, पाटा के जंगलों में वनवासियों के दर्द के साथ सूखती नदियोंकी तस्वीरें खबरों के माध्यम से दुनिया के सामने लाए। कानपुर की गलियों से लेकर देश की राजधानी तक, उनके पत्रकारिता जगत के सफर ने उन्हें ऐसी पैनी नजर दी है जो खबरों की दुनिया में पर्दे के पीछे की कहानी को देख-परख लेते हैं। तभी तो पत्रकारिता उनके लिए सिर्फ खबरों का संग्रहण करना नहीं, बल्कि समाज के सबसे निचले तबके की आवाज़ को बुलंद करना है।कलम के धनी हैं, वरिष्ठ पत्रकार राजेश द्विवेदी। उनके शब्दों ने न केवल खबरों को जीवंत किया, बल्कि समाज की धड़कनों को भी शब्दों में पिरोया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने शब्दों से उन्होंने न केवल समाचार पत्रों और मीडिया संस्थानों में अपनी छाप छोड़ी, बल्कि सच की आवाज को भी बुलंद किया।